राहुल के बहाने छत्‍तीसगढ़ में ओबीसी वोटरों पर नजर, भाजपा-कांग्रेस ने एक-दूसरे को बताया पिछड़ा वर्ग विरोधी

रायपुर।  राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने के बाद प्रदेश की राजनीति में ओबीसी का मुद्दा छा गया है। भाजपा प्रचार कर रही है कि राहुल ने ओबीसी वर्ग का अपमान किया था, इसलिए उन्‍हें सजा सुनाई गई है। राहुल ने जिस मोदी को चोर बताया था इंटरनेट मीडिया पर उन्‍हें जैन और अग्रवाल समाज का बताया जा रहा है। हालांकि भाजपा के आक्रामक प्रचार के आगे यह प्रचार फीका पड़ रहा है। कांग्रेस अब खुद को ओबीसी हितैषी बताने के लिए आरक्षण मुद्दे का दांव चल रही है।

राहुल गांधी के बहाने ओबीसी वोटरों पर केंद्रित हुई छत्तीसगढ़ की राजनीति
कांग्रेस कह रही है कि हमारी सरकार ने राज्य में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक पास कर दिया है। भाजपा के इशारे पर यह विधेयक राजभवन में अटका है। 90 सदस्यीय विधानसभा में 22 विधायक ओबीसी वर्ग के हैं जिनमें कांग्रेस के18 और भाजपा के चार हैं। राज्य के 11 सांसदों में पांच ओबीसी हैं। प्रदेश में 48 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वयं इसी वर्ग से आते हैं। राज्य में इस साल के अंत में चुनाव है, इसलिए राहुल के बहाने ओबीसी के मुद्दे को गरमाने का प्रयास किया जा रहा है।
2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने ओबीसी नेताओं को आगे करकेलड़ा था। चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे चार नेताओं में से तीन भूपेश बघेल, ताम्रध्वज साहू और डा. चरणदास महंत ओबीसी वर्ग के ही हैैं। चौथे दावेदार टीएस सिंहदेव थे जो सामान्य वर्ग के हैं।
जानकार बताते हैं कि राज्य के ओबीसी वोटरों ने मुख्यमंत्री बनने की संभावना को देखते हुए अपने समुदाय के इन्हीं नेताओं के चेहरे पर कांंग्रेस को वोट दिया था। कांग्रेस ने वादा भी किया था कि सरकार बनेगी तो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे।
वर्तमान सरकार ने ओबीसी वर्ग से किया अपना यह वादा निभाया परंतु मामला कोर्ट पहुंच गया। बाद में जब हाई कोर्ट ने पूर्व में दिया गया अजा और अजजा वर्ग के आरक्षण को भी निरस्त कर दिया तो सरकार को दोबारा अवसर मिला। नया आरक्षण संशोधन बिल पास किया गया जिसमें क्वांटिफाइयेबल डाटा आयोग के आंकड़ों के आधार पर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। हालांकि यह बिल राजभवन में अटका हुआ है।
ओबीसी इसलिए हैं महत्वपूर्ण
राज्य की कई सीटों पर ओबीसी वोटर प्रभावी भूमिका में हैं। आदिवासियों व अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित सीटों पर भी इनका असर है। यही कारण है कि भाजपा ने चुनाव प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष इसी वर्ग से बनाया है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री के साथ दो मंत्री ताम्रध्वज साहू और उमेश पटेल ओबीसी वर्ग से हैं।
आमने-सामने
छत्त्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, ओबीसी के नाम पर भाजपा घड़ियाली आंसू भर बहाती है। हमने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया है। भाजपा के दबाव में यह बिल राजभवन में अटका हुआ है। वे प्रचार कर रहे हैं कि राहुल ने मोदी का अपमान कर ओबीसी का अपमान किया है। यह झूठ है। सच तो यह है कि जिनके बारे में राहुल ने बोला था उनमें एक जैन तो दूसरे बनिया समुदाय हैं। पिछड़ों और कमजोर वर्ग की लड़ाई कांग्रेस लड़ती है। भाजपा इनकी हमेशा उपेक्षा करती आई है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने कहा, राहुल गांधी खुद को देश और संविधान से बड़ा समझते हैं। न्यायालय ने उन्‍हें साहू और तेली समाज को अपमानित करने का दोषी पाया है। राज्य में 48 प्रतिशत ओबीसी हैं जिनमें से 22 प्रतिशत साहू समाज के हैं। राहुल गांधी ने ओबीसी समाज के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। चुनाव में जनता उन्‍हें जवाब देगी।
फैक्ट फाइल
-48 प्रतिशत वोटर ओबीसी वर्ग के
-27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण देने संबंधी विधेयक राज्यपाल के पास अटका
-90 विधानसभा सीटों मेें 22 पर ओबीसी विधायक, कांग्रेस के 18, भाजपा केचार
-11 सांसदों में पांच ओबीसी, इसमें चार भाजपा, एक कांग्रेस सांसद

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