विश्व स्वास्थ्य दिवस पर जानिए पार्किंसंस रोग और लक्षण के बारे में

रायपुर- एम्स और डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के प्रयासों से 45 वर्षीय पार्किंसंस पीड़ित महिला को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) सर्जरी से राहत मिली है। इलाज के लिए मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना से 13 लाख रुपये सहायता मिली। वहीं पूरे मध्य भारत में यह पहली सफल सर्जरी होने के बाद यह सेवाएं रायपुर एम्स में शुरू हो गई है।
चिकित्सकाें ने बताया कि बलौदाबजार निवासी पीड़ित पिछले सात वर्षों से पार्किंसंस रोग से ग्रस्त थी। लंबे समय से रोग होने की वजह से दवा का असर कम हो गया था। स्थिति ऐसी थी कि हाथ-पैर कांपने के साथ ही शरीर का मुवमेंट भी असमान्य हो गया था। रोगी कुछ सामान नहीं उठा पा रहीं थी।
डीकेएस व एम्स के प्रयासों से मध्यभारत में इस तरह की पहली सर्जरी सफल
डीकेएस अस्पताल अस्पताल के न्यूरोलाजिस्ट, पार्किंसंस व मूवमेंट डिसआर्डर विशेषज्ञ डाक्टर अभिजीत ने डीप ब्रेन स्टिमुलेशन सर्जरी की सलाह दी। चूंकि इस सर्जरी में जोखिम की वजह से प्रशिक्षित विशेषज्ञों की टीम लगती। खर्च भी काफी अधिक होता। वहीं पूरे मध्यभारत में यह सर्जरी नहीं हुई थी। डीकेएस और एम्स के विशेषज्ञों से मिलकर इस आपरेशन को करने का फैसला लिया।
एम्स में चिकित्सकों ने मिलकर जांच व परीक्षण के बाद डीबीएस सर्जरी कर इतिहास रच दिया। इलाज के बाद रोगी स्वस्थ है। उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। सर्जरी करने वालों में डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल के विभागाध्यक्ष डा. अभिजीत कोहाट, एम्स में न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डा. अनिल शर्मा, डा. रूपम बी, डा. रुखमणि, डा. राजेश आदि थे।
यह है पार्किंसंस रोग
डा. अभिजीत ने बताया कि पार्किंसंस वृद्धावस्था में होने वाली बीमारी है, जो अब युवाओं में भी सामने आ रही है। इसमें मस्तिष्क में लेवोडोपा नमक केमिकल की कमी हो जाती है। इस वजह से शरीर में कंपन, हाथ पैरों का कड़ा होना, धीमापन मुख्य लक्षण हैं। शुरु दिनों में दवा का असर करता है। पांच वर्ष बाद दवा का असर काम होने लगता है। इसके बाद डीबीएस सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में यह रोग आता है। लेकिन अब युवाओं में भी ऐसे मामले बढ़ रहे हैं।
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन क्या है
डा. अभिजीत ने बताया कि डीप ब्रेन स्टिमुलेशन एक ऐसी ट्रीटमेंट की विधि है, जिसमें हम ब्रेन के अंदर इलेक्ट्रोड लगा करके उसको एक बैटरी द्वारा संचालित करते हैं। डीबीएस मुख्यतः पार्किंसंस डिजीज, डिस्टोनिया व एसेंशियल ट्रेमर्स (हाथो एवं शरीर का कंपन) में किया जाता है। इस सर्जरी में शासकीय अस्पतालों में 13 से 15 लाख रुपये तक का खर्च आता है। जबकि निजी में 20 लाख रुपये से अधिक खर्च होता है।
एम्स न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष डा. अनिल शर्मा ने कहा, डीबीएस सर्जरी काफी जटिल है। प्रशिक्षित चिकित्सकों की टीम ने इस सर्जरी को सफल बनाया है। यह मध्यभारत की पहली सर्जरी है। इसके साथ ही एम्स में इस सर्जरी सुविधा शुरू हो चुकी है।
डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल न्यूरोलाजी के विभागाध्यक्ष डा. अभिजीत कोहाट ने कहा, पार्किंसंस राेगी का यह सर्जरी राज्य के लिए गौरव की बात है। राज्य शासन की मदद से एम्स और डीकेएस के चिकित्सकों के प्रयासों से यह उपलब्धि हासिल हुई है। जल्द ही डीकेएस में सुविधाएं भी शुरू होंगी।
डा. खूबचंद बघेल स्वस्थ्य सहायता योजना के राज्य नोडल अधिकारी डा. खेमराज सोनवानी ने कहा, मुख्यमंत्री विशेष सहायता योजना से मरीजों को इलाज के लिए 20 लाख रुपये तक आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। पीड़ित को इलाज के लिए 13 लाख रुपये आर्थिक सहायत दी गई।