आइए, मुस्कुराइए मैनपाट में, हर मौसम देता है यहां सुकून, प्राकृतिक सौंदर्य का ले आनंद

अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में स्थित मैनपाट की वादियों में ठंड ही नहीं अब हर मौसम में पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है। कश्मीर,शिमला, मनाली इस बड़े भूभाग वाले हिंदुस्तान के अनगिनत खूबसूरत जगहों में से एक उत्तर छत्तीसगढ़ का मैनपाट है।
मैनपाट वर्षाकाल में जितना सुंदर नजर आता है उससे भी ज्यादा आकर्षित ठंड में हो जाता है।वर्षाकाल में रुई के फाहों की तरह अपने इर्द-गिर्द अगर बादलों को देखना हो या फिर मानसूनी बादल आप पर लिपटकर आपको भिगो जाए तो आश्चर्य न करिएगा,यह मैनपाट ही है।
प्रकृति की अद्वितीय रचना मैनपाट घने वनों से आच्छादित छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत भूभाग है। इसे देखने हर किसी को मैनपाट तक आना ही होगा। अभी भी यहां ठंड है,शाम होते कड़ाके की ठंड से पर्यटक सिहर उठते हैं।गर्मी में दोपहर की ठंडी हवा खूब सुकून देती है।

बता दें, जब तिब्बत में विद्रोह शुरू हुआ तो 1962 में तिब्बती शरणार्थियों को बसाने की बारी आई तो मैनपाट की आबोहवा को चुना गया। मैनपाट में तिब्बती शरणार्थियों की एक बड़ी आबादी न सिर्फ गुजर-बसर करती है बल्कि अपनी पूरी प्राकृतिक क्षमताओं के साथ मैनपाट को उसी तरह अपनाए हुए हैं जिस तरह मैनपाट ने तिब्बत की तरह स्वीकारा।
प्राकृतिक रूप से पूरा मैनपाट का पठार सिक्किम की खूबसूरत वादियों की तरह है। यहां पहुंचते ही हर सैलानी रोमांचित हो उठता है। यहां पहुंचते ही जगह-जगह लगे बोर्ड “मुस्कुराइए आप मैनपाट में हैं” इस शब्द को चरितार्थ भी करते हैं। निश्चित रूप से यहां आकर आपको मुस्कुराना ही होगा।
मैनपाट में वर्ष भर जहां लोगों को ठंड की अनुभूति होती है। शीतल हवा लोगों को सुकून देती है वहीं मानसून शुरू होते ही यहां बादलों की अटखेलियां हर किसी को भाने लगती हैं। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं और मैनपाट के पठार और कई दर्शनीय स्थलों में पहुंचकर रोमांचित होते हैं।

यहां बड़ी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने के कारण रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।बेरोजगार युवाओं ने तंबू लगा रखा है जहां लोग रात बिताते हैं।शासकीय मोटल के साथ कई निजी होटल खुल रहे हैं।यहां के पठार में तिब्बती फसल टाऊ की खेती हजारों हेक्टेयर में की जाती है,यह भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है।
मैनपाट की यात्रा के दौरान अगर ग्रामीण जीवन शैली, आदिवासी जीवन शैली को नजदीक से कोई देखना चाहता है तो यह हमेशा तैयार रहता है। यहां की विशेष पिछड़ी जनजाति माझी-मझवार अध्ययन के विषय हैं, वही खूबसूरत छोटी-छोटी आंखों वाले तिब्बती समुदाय के लोग भी पर्यटकों को रोमांचित करते हैं।
यहां सात अलग-अलग तिब्बती कैंप भी भ्रमण के लायक हैं। यही नहीं यहां तिब्बती व्यंजनों का भी स्वाद लिया जा सकता है। शांति के ध्वज यहां हवा में लहराते हैं जो अलग से सुकून पैदा करते हैं। बौद्ध मठ,मंदिर भी यहां दर्शन के लिए हमेशा खुले रहते हैं।

यहां चावल, दाल, सब्जी, चटनी के साथ पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद मिलता है। यहां के सभी होटलों में शाकाहार,मांसाहार की उपलब्धता से पर्यटक और भी आकर्षित होते हैं। तिब्बती कैंटीन में तिब्बती व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है।
इसके फूलों की मादकता पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करती है।यहां पहुंचने वाले लोग टाऊ फसल में फोटो खिंचाने लंबे समय तक फसल के बीच नजर आते हैं।यहां की आदिवासी और तिब्बती जीवन शैली का अध्ययन भी लोग करते हैं।तिब्बतियों के अलग-अलग कैंप ही अपने आप में पर्यटन के केंद्र हैं।