कितना अंकुरण होने के बाद स्प्राउट से मिलता है भरपूर प्रोटीन, यहां समझें पूरा गणित

शरीर की मांसपेशियों की मरम्मत और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। नेचुरल प्रोटीन के लिए लोग आमतौर पर अंकुरित अनाज का सेवन करते हैं। यह सच है कि अंकुरण के बाद अनाज में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है,
लेकिन कई बार लोगों को यह नहीं पता होता है कि अनाज में जो अंकुर फूटता है, वह जितना ज्यादा लंबा होते जाता है, उसमें प्रोटीन की मात्रा भी बढ़ती जाती है, साथ ही इसमें फाइबर की मात्रा भी बढ़ती जाती है। अधिकांश लोग एक दिन पहले अनाज को भिगोकर रखते हैं और दूसरे दिन हल्का सा अंकुरण होते ही इसका सेवन कर लेते हैं। ऐसे में भरपूर प्रोटीन नहीं मिल पाता है।

जानें स्प्राउट में कब कितना प्रोटीन व फाइबर

इसे एक अनाज में उदाहरण के तौर पर देखा जा सकता है। अंकुरित अनाज के लिए आज गेहूं, मूंग, मोठ, जौ आदि का सेवन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अंकुरित जौ में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा हर दिन के साथ साथ बढ़ती जाती है। इसे आप इस चार्ज के साथ समझ सकते हैं –

यहां ध्यान देने वाली बात ये हैं कि स्प्राउट्स की प्रोटीन की मात्रा अंकुरित अनाज की परिस्थितियों जैसे बीज की क्वालिटी, अंकुरण प्रक्रिया की अवधि और तापमान पर भी निर्भर करती है। यदि अंकुरण के लिए उचित वातावरण मिलता है तो कम से 6 दिन में प्रोटीन की मात्रा भरपूर बढ़ाई जा सकती है और बाजार मिलने वाले प्रोटीन पाउडर के ऊपर निर्भरता कम की जा सकती है।

घर में स्प्राउट तैयार करते समय अच्छी क्वालिटी के बीजों का उपयोग करें।
-रोज समय-समय पर बीजों को साफ पानी से एक बार छिड़काव कर दें।
– अनाज को रोशनी में रखने से बचें क्योंकि रोशनी में अंकुरण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
– 6 या 7 दिन तक के अंकुरित अनाज का सेवन कर लेना चाहिए। इसके बाद अंकुरित जड़ों में कड़वाहट आने लगती है।

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