नंदी महाराज के कान में अपनी बात कहने से पहले बोलना चाहिए यह एक अक्षर

भगवान शिवर के प्रमुख गणों में एक नंदी महाराज हैं। नंदी देव उनके परम भक्त माने गए हैं। भगवान शिव की सभी लीलाओं के साक्षी भी नंदी हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नंदी भगवान शिव का वाहन (वाहन) है। वह एक बैल का रूप हैं। शिव की भक्ति में विश्वास रखने वाले शिव-पार्वती, गणेश-कार्तिकेय के बाद उन्हीं की पूजा करते हैं। नंदी को अक्षता और फूलों से सजाया जाता है। नंदी हमेशा शिव के सामने रहते हैं। दरअसल, भगवान शिव ने खुद नंदी जी को वरदान दिया था कि जहां-जहां मैं विराजमान रहूंगा वहां पर तुम भी विराजमान होंगे। इसी के कारण शिव जी और उनके परिवार के साथ नंदी भी विराजित रहते हैं। ऐसे में जब हम शिव मंदिर जाते हैं, तो शिव जी की पूजा करने के साथ-साथ नंदी जी की पूजा करते हैं। इसके साथ ही उनके कान में अपनी कामना कहते हैं। लेकिन क्या आप ठीक ढंग से अपनी कामना को कहते हैं। जानिए नंदी को कामना कहते समय किस अक्षर को सबसे पहले बोलना चाहिए।

नंदी के कान में क्यों कहते हैं अपनी कामना?

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि शिव जी अधिकतर समय तपस्या में लीन रहते हैं। ऐसे में नंदी जी ही वहीं पर तैनात रहते हैं, जिससे कोई भी उनकी तपस्या पर विघ्न न डाल सके। ऐसे में जो भी भक्त भगवान शंकर से अपनी कामना कहना चाहते हैं, वह लोग नंदी जी से अपनी मनोकामना को कह देते हैं, जिससे वह भगवान शिव तक भी पहुंच जाती है। एक पुरानी मान्यता के अनुसार, स्वयं भगवान शिव जी ने नंदी को वरदान दिया था कि जो तुम्हारे कान में आकर अपनी मनोकामना कहेगा, तो उसकी हर इच्छा अवश्य पूरी होगी।

शास्त्रों के अनुसार, नंदी के कान में कोई भी कामना कहने से पहले ‘ॐ’ शब्द बोलना चाहिए। इसके बाद ही अपनी कामना कहनी चाहिए। हिंदू धर्म में ‘ॐ’का विशेष महत्व है। आप देखेंगे की अधिकतर मंत्रों की शुरुआत इसी शब्द के साथ होती है। ये केवल एक शब्द नहीं है बल्कि ॐ को संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। ॐ का उच्चारण करने मात्र से आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।

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