भोपाल के बड़े तालाब में मिली अमेरिका की झीलों में पाई जाने वाली मछली

अमेरिका की झीलों में पाई जाने वाली विशेष प्रजाति की मछली भोपाल के बड़े तालाब से मिलने पर चर्चा का विषय बन गई है।
कोहेफिजा क्षेत्र के खानूगांव में रहने वाला अनस मंगलवार को मछली पकड़ रहा था, तब ही उसके हाथ यह लगी। जब उसने मछली को बाहर निकाला तो पहली नजर में मगरमच्छ का बच्चा लगा, लेकिन उसने दोबारा देखा तो मछली लगी।
उसने मछली को बाहर निकाला तो आसपास इक्ट्ठे हुए लोगों ने फोटो खींच कर और वीडियो बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिए।विशेषज्ञों ने मछली के बारे में बताते हुए उसका नाम एलिगेटर गार बताया है।
मैंने बहुत प्रयास किया लेकिन बचा नहीं पाया
मैं हर दिन की तरह मंगलवार शाम को छह से सात बजे के बीच बड़े तालाब में मछली पकड़ रहा था। इसके लिए मैंन कांटा लगा रखा था, कुछ देर बाद एक मछली आकर फंस गई। जिसे मैंने बाहर निकाला तो मुझे देखने में लगा कि मगरमच्छ का बच्चा फंस गया है, लेकिन उसके पैर नहीं होने से मैंने दोबारा नजर डाली तो वह मछली जैसी ही लगी। इससे मैंने उसको बाहर निकाला और काफी बचाने का प्रयास किया, लेकिन मैं मछली को बचा नहीं पाया।मैंने अपने साथियों से पूछा और खुद भी जानकारी जुटाई तो वह विदेश में पाई जाने वाली मछली जैसी लग रही थी।
जैसा कि खानूगांव निवासी अनस ने नवदुनिया को बताया
डेढ़ फीट लंबी और ढाई किलो वजनी
बड़े तालाब में मिली उत्तरी अमेरिका में पाई जाने वाली एलिगेटर गार नाम की मछली की लंबाई डेढ़ फीट थी और उसका वजन लगभग ढाई किलो था।इस मछली का मुहं मगरमच्छ के जबड़े जैसा था।इसे (क्रोकोडाइल फिश) भी कहा जाता है।विशेषज्ञ बताते हैं कि यह मछलियां मीठे पानी में पाई जाती हैं, मांसाहारी होती है। इनकी उम्र 18 से 20 साल तक होती है यह मछली 10 फीट तब लंबी हो सकती है। इतना ही नहीं यह मछली खतरा महसूस होने पर आक्रमक भी हो जाती है।भारत के केरल में इसका पालन किया जाता है, जिसके पांच इंच तक के बच्चे एक से दो हजार रुपये में मिलते हैं।
विशेषज्ञ बोले ऐसे आई होगी मछली
मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एसपी सैनी ने बताया कि भोपाल के बड़े तालाब में मिली मछली उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है। जिसे ऐलिगेटर गार नाम से जाना जाता है। इसके आने के पीछे यह कारण हो सकता है कि हावड़ा, कोलकाता से मछली के सीड लाए जाते हैं इनके माध्यम से भी यह वर्षा में नदियों के जरिए यहां तक पहुंची होगी। वहीं लोग इसके बारे जाने बिना ही एक्वेरियम में पाल लेते हैं, जब यह बड़ी होने लगती है तो इसे जलाशय में छोड़ देते हैं।