अक्षय तृतीया , 22 अप्रैल 2023 का महत्व :

अक्षय तृतीया तिथि स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त मानी गई है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं।
👉 वास्तु शास्त्र से संबंधित सभी यंत्रों की स्थापना पूजा और प्राण प्रतिष्ठा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है !!
👉 अक्षय का अर्थ है जिसका क्षय नही होता !!
👉 शास्त्रों में अक्षय तृतीया को विशेष अबूझ मुहूर्त कहा गया है। इस विशेष दिन पर शुभ कार्य करने, शुभ खरीदारी करने और दान करने की विशेष महत्व होता है
👉 पावन पर्व अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व इस बार 22 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। इस तिथि की अधिष्ठात्री देवी पार्वती हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार त्रेता और सतयुग का आरंभ भी इसी तिथि को हुआ था,इसलिए इसे कृतयुगादि तृतीया भी कहते हैं।
👉 मान्यता है कि इस दिन स्नान, दान, जप, हवन, स्वाध्याय, तर्पण आदि जो भी कर्म किए जाते हैं, वे सब अक्षय हो जाते हैं। यह तिथि सम्पूर्ण पापों का नाश करने वाली और सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी गई है।
अक्षय तृतीया का महत्व :
यह तिथि स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त मानी गई है। इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से सम्बंधित कार्य किए जा सकते हैं। तृतीया तिथि को पार्वती जी ने अमोघ फल देने की सामर्थ्य का आशीर्वाद दिया था। उस आशीर्वाद के प्रभाव से इस तिथि को किया गया कोई भी कार्य निष्फल नहीं होता। व्यापार आरम्भ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य, पूजा-पाठ अक्षय रहता है अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता। धर्मराज को इस तिथि का महत्व समझाते हुए माता पार्वती कहती हैं कि कोई भी स्त्री, जो किसी भी तरह का सुख चाहती है उसे यह व्रत करते हुए नमक का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए। स्वयं में भी यही व्रत करके मैं भगवान शिव के साथ आनंदित रहती हूँ।
👉 विवाह योग्य कन्याओं को भी उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करना चाहिए। जिनको संतान नहीं हो रही हो वे स्त्रियां भी इस व्रत करके संतान सुख प्राप्त कर सकती हैं। प्रजापति दक्ष की पुत्री रोहिणी इसी व्रत के कारण अपने पति चंद्र की सबसे प्रिय रानी रहीं। स्वर्ग के राजा इंद्र की पत्नी देवी इंद्राणी इसी व्रत के पुण्य प्रताप से जयंत नामक पुत्र की मां बनी। देवी अरुंधति ने यही व्रत करके अपने पति महर्षि वशिष्ठ के साथ आकाश में सबसे ऊपर का स्थान प्राप्त किया।
👉 स्न्नान-दान और पूजा का महत्व
अक्षय तृतीया के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर समुद्र, गंगा या किसी भी पवित्र नदी अथवा घर में ही स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की शांत चित्त होकर पूजा करने का विधान है। लक्ष्मीनारायण के साथ-साथ ही सुख-सौभाग्य-समृद्धि हेतु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती जी का पूजन भी किया जाता है।
👉 शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के खान-पान की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं।
👉 स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है अर्थात अनेकों तीर्थ करने से जो फल प्राप्त होता है वह केवल वैशाख मास में जलदान करने से प्राप्त हो जाता है।
👉 इसके अलावा छाया चाहने वालों को छाता दान करना और पंखे की इच्छा रखने वालों को पंखा दान करने से ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
👉 जो विष्णुप्रिय वैशाख में पादुका दान करता है, वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक को जाता है !!
आयुष्मान योग- सूर्योदय से लेकर सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक
सौभाग्य योग – सुबह 09 बजकर 25 मिनट से 23 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक
त्रिपुष्कर योग – सुबह 6 बजकर 4 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग – रात 11 बजकर 24 मिनट से 23 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 4 मिनट तक
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त :
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना काफी शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन सुबह 07 बजकर 49 मिनट से अगले दिन 23 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक सोना खरीद सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर क्यों सोना खरीदना माना जाता है शुभ?
अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि सोना को मां लक्ष्मी का प्रतीक मानते हैं। इसलिए इस दिन सोना खरीदने से व्यक्ति को लंबे समय तक सुख-समृद्धि, धन संपदा की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। अगर आप सोना नहीं खरीद सकते हैं, तो मां लक्ष्मी से संबंधित अन्य चीजें जैसे कि कौड़ियां, दक्षिणावर्ती शंख, एकाक्षी नारियल, जौ, मिट्टी के बर्तन आदि ला सकते हैं।