जिले में विप्र ब्राह्मण समाज के द्वारा धूमधाम से मनाया भगवान परशुराम का जन्मोत्सव

पूजा अर्चना एवं जयकारों के साथ निकाली गई भव्य शोभायात्रा जगह-जगह हुए स्वागत।
गौरेला/पेन्ड्रा:- विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जय जयकार, जब जब ब्राह्मण बोला है राज सिंहासन डोला है। गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम जी का जन्म उत्सव धूम धाम से मनाया गया है।
गौरेला के राधाकृष्ण मंदिर में ब्राह्मण विकास परिषद गौरेला एवं दुर्गा शंकर मंदिर में सर्व ब्राह्मण के द्वारा भगवान परसुराम का पूजन विधि विधान मंत्रोच्चार के द्वारा किया गया! सर्व ब्राह्मण संघटन के द्वारा मरही माता मंदिर में ब्राह्मण बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया!
ब्राह्मण विकास परिषद के द्वारा राधा कृष्ण मंदिर संजय चौक से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई, जिसमें सुंदर मनमोहक झांकियों ने सभी को आकर्षित किया, भव्य शोभायात्रा जो मुख्य मार्ग होते हुए नगर भृमण कर राजा राम दुबे परिषर पुराना गौरेला पहुँची जहाँ प्रशाद भोज का आयोजन किया गया शोभायात्रा का जगह जगह पूजन एवं स्वागत किया गया!
इसी तरह जिले के पेंड्रा में सर्व ब्राह्मण परिषद एवं परसुराम सेना पेन्ड्रा के द्वारा अक्षय तृतीया पर भगवान परशुराम जी का जन्मोत्सव बडी धूमधाम से मनाया गया था। जिसमे समाज के द्वारा स्थानीय राम मंदिर पुरानी बस्ती में भगवान परशुराम जी की प्रतिमा के समक्ष विद्वान ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना कर अभिषेक के साथ हवन, आरती किया गया। वहीं पूजन अर्चन किया गया था। वहीं ब्राह्मण समाज ने जय कारे लगाते हुए भव्य शोभायात्रा बाजे-गाजे के साथ निकली गई। बड़ी संख्या में विप्र जानो ने पारंपरिक परिधान में दिखाई दिए। यह शोभायात्रा की शुरूआत राम मंदिर पुरानी बस्ती से निकाली गई एवं हनुमान मंदिर मे शोभा यात्रा का समापन किया गया। वहीं शोभा यात्रा का जगह-जगह स्वागत भी किया गया। वहीं हम आपको बता दें कि भगवान परशुराम ने ब्रह्मणों ऋषियों पर होने वाले अत्याचार का अंत किया था। इसलिए इस दिन भगवान परशुराम जी के साथ विष्णु जी की भी कृपा प्राप्त होती है। शोभायात्रा में भगवान परशुराम पर आधारित तैयार की गई झांकी आकर्षण का केंद्र रही। साथ हि ब्राह्मण समाज के घरो मे महिलाओं ने रंगोली बनाकर दीप जलाया गया और विप्र महिलाओं ने थाल मे भगवान परसुराम की आरती भी की। वही ब्राह्मण समाज की महिलाएं पूजा अर्चना से लेकर अंत तक बड़ी संख्या में सामिल रही। इस अवसर पर प्रमुख रुप से इस अवसर पर गौरेला, खोडरी, लालपुर, पेंड्रा, मरवाही, कोटमी, आदि सहित महिलाएं एवं बच्चे, विप्र समाज के लोगों ने बढ़-चढ़कर इस आयोजन में भागीदारी निभाई।
इन नामों से जाना जाता है:-
धार्मिक ग्रंथों में भगवान परशुराम को राम जामदग्नाय, राम भार्गव और वीरराम भी कहा जाता है. हिंदू आस्था माने तो भगवान परशुराम अभी भी पृथ्वी पर रहते है. दक्षिण भारत में, उडुपी के पास पजका के पवित्र स्थान पर, एक बड़ा मंदिर मौजूद है जो परशुराम का स्मरण करता है. भारत के पश्चिमी तट पर कई मंदिर हैं जो भगवान परशुराम को समर्पित हैं।
अमर हैं भगवान परशुराम:-
पुराणों में 8 महापुरुषों का वर्णन है जिन्हें अजर-अमर माना जाता है, इनमें हनुमान जी, अश्वत्थामा, कृपाचार्य, भगवान परशुराम, ऋषि मार्कण्डेय, राजा बलि, महर्षि वेदव्यास और विभीषण शामिल है।