प्रदीप मिश्रा के कथा स्थल में रखे दान पेटी से पैसा चोरी

दुर्ग। छत्तीसगढ़ दुर्ग जिले के भिलाई में शिव महापुराण की कथा सुनाने आए पं. प्रदीप मिश्रा की दान पेटी से रुपयों की चोरी का मामला सामने आया है। जिस जगह पर दानपेटी थी वह स्थल कैमरे से लैस था और आसपास पुलिस की कड़ी पहरेदारी थी। इस दान पेटी की चाबी भी बाबा के भक्तों के पास ही थी। ऐसे में दानपेटी से रुपयों की चोरी होना सुरक्षा में लापरवाही बताती है। विदित हो कि इस घटना की लिखित शिकायत पं. मिश्रा ने नहीं की।

कथा स्थल पर 40 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे होने और एक हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों के तैनाती होने की जानकारी है। इसकी मौखिक शिकायत एसपी से की गई, लेकिन जब ये बात आई की दान पेटी में ताला लगा हुआ है और चाबी सीहोर से आए बाबा के 7 भक्तों के पास ही थी। यदि उनमें से कोई होगा तो बाबा की बदनामी हो जाएगी। इसके बाद पं. मिश्रा ने लिखित शिकायत करने से मना कर दिया।

पुलिस सूत्रों के अनुसार पं. मिश्रा की दान पेटी से चोरी हुई है। कथा के अंतिम दिन जब पेटी खोली गई तो वो पूरी तरह से खाली थी। जब पुलिस अधिकारियों ने जांच की तो पाया कि दान पेटी मंच के ऊपर वहीं रखी थी, जहां पर रखी रहती थी। दान पेटी में ताला भी लगा हुआ है। ताले की चाबी सीहोर से आए बाबा के खास 7 भक्तों के पास थी।

आयोजन के पहले और बाद में मंच में केवल उन्हीं लोगों को जाने की अनुमति थी। बाकी लोगों को आरती के समय ही मंच में चढ़ने की अनुमति थी। ऐसे में चोर या बाबा के खास भक्त हैं या फिर वो वीआईपी जो मंच में आरती के लिए जाते थे। जैसे ही पुलिस अधिकारी ने वहां लगे सीसीटीवी फुटेज को चेक करने की बात कही, तो बाबा ने यह सोच कर लिखित शिकायत करने से मना कर दिया की कहीं उनका भक्त पकड़ा गया तो उनके भक्तों के बीच गलत संदेश जाएगा और उनकी बदनामी होगी।

दान का कोई लेखा जोखा नहीं

पुलिस सूत्रों के अनुसार पूजा पाठ में मिलने वाली राशि टेक्स फ्री होती है, लेकिन उसका पूरा लेखा जोखा होना चाहिए। पं. प्रदीप मिश्रा की दान पेटी रोज खोली जाती थी और उसमें भरा हुआ कैश उनके भक्त लेकर जाते थे। उनके द्वारा न तो दान पेटी में कोई नंबर लिखा जाता था और न रजिस्टर में ये लिखा जाता है कि किस दिन कितना दान आया। इस तरह से बिना लिखापढी का दान लेना और रखना भी गलत है।

मंच पर जाने आने की थी मनाही

पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि मंच या दान पेटी के पास पुलिसकर्मियों की जाने की मनाही थी। वहां केवल बाबा के खास भक्त और आयोजक के लोग ही रहते थे। अधिक दान आने पर पुलिस सुरक्षा लेनी चाहिए थी। इतनी बड़ी संख्या में पुलिस बल व्यवस्था में लगा हुआ था एक अधिकारी दान पेटी की सुरक्षा में भी लगा दिया जाता।

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