जिला अस्पताल के एक चौकीदार को मिला 3 प्रभार

1) चौकीदार भृत को यही बने सहायक बाबू ?
2) वाहन चालक ही बने वार्ड बॉय की आखिर किसके संरक्षण में हुई इनकी नियुक्ति?
3) ऐसी कौन सी आफत आज भी किस चौकीदार को ही 3 पद संभालने को दे दिया गया?
4) सीएमएचओ व सीएमओ दोनों के यह जानकारी में फिर भी नहीं निकाली जा रही है कोई भी भर्ती आखिर ऐसा क्यों?
कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के अंतर्गत जिला अस्पताल चल रहा है झोलझाल बिना निविदा बिना वैकेंसी के ही की जा रही है भर्ती जो वहां काम कर रहे हैं उन्हें की की जा रही है आगे की भर्ती , आपको बता दें कि चौकीदार का कार्य शायद संरक्षण के कारण वह अपना पद का निर्वाहन करना भूल चुके है एक ही व्यक्ति की भृत की जगह रिक्त होने के कारण चौकीदार को भी भृत का पद में नियुक्ति कर दी गई, वह चौकीदार व भृत का पद में ना रहकर यह सहायक ग्रेड 3 के रूप में कार्यरत है ।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी – चौकीदार से पूछने पर यह अपने आप को अकाउंटेंट बताते हैं व सहायक बाबू भी बताते हैं जब इनकी नौकरी 2011 में चौकीदार के रूप में जोइनिंग हुई थी बाद में 2साल बाद 2013 में जिला अस्पताल में इनकी नियुक्ति चौकीदार के रूप में हुई थी ,अभी भृत का पद रिक्त होने के कारण चौकीदार को ही ये पद संभालने को दे दिया ।
कोरिया जिले में बैकुंठपुर जिला अस्पताल के ऐसे कई मामले है जिसमे बिना किसी वेकेंसि के ही नियुक्ति कर दी जाती है बिना किसी के जानकारी के अब ऐसी केंटिन की भी कर दी गयी ।
कैंटीन संचालक को हटाने के बाद हुआ मामले का खुलासा
इस बारे में प्राप्त जानकारी के तहत जिला अस्पताल के कैंपस मे मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह खुटहनपारा के द्वारा कैंटीन का संचालन किया जा रहा था अचानक तीन दिनों पूर्व उसे हटने को कहा गया जिसके बाद पता चला कि इसका चुपचाप टेंडर निकालकर किसी अन्य व्यक्ति को दे दिया गया है, जबकि उस समूह को लगभग 10 लाख रूपये का भुगतान जिला अस्पताल से लेना है। गुपचुप तरीके से निविदा निकालकर एक एल्डरमैन जो कि विधायक के चहेते हैं उन्हे दिये जाने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। बतलाया जाता है कि सेटिंग करके कैंटीन व पार्किंग का टेंडर ऐसे अखबार में निकलवाया गया है जिस अखबार का वितरण शहर में नही होता और ऐसा सिर्फ इसलिए कि वह काम विधायक के चहेते को ही दिया जा सके। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में मरीजो की सेवा करने को झूठा दंभ एक चर्चित व्यक्ति द्वारा भरा जाता है जो कि दिन भर विधायक के इर्द गिर्द दिखलाई देता है और इसके इशारे पर ही इस षडयंत्र को अंजाम दिया गया है। मामले की शिकायत समूह द्वारा कलेक्टर व जीवनदीप समिति के अध्यक्ष से की गई है देखने वाली बात होगी कि हर बार की तरह यह मामला भी विधायक के दबाव के बाद शांत हो जाएगा या फिर प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कार्यवाही की जाएगी।
पार्किंग का काम भी विधायक के खास को मिला
सूत्रों ने बतलाया कि जिस प्रकार कैंटीन का काम विधायक के खास एक एल्डरमैन को दिया गया है उसी प्रकार पार्किंग का काम भी विधायक के खास ऐसे व्यक्ति को दिया गया है जो कि इन दिनों विधायक के स्टाफ के रूप में कार्यरत है,हलांकि कागजो में दूसरे का नाम है पर वह सिर्फ दिखावा है। सूत्रो ने बतलाया कि पार्किंग का काम जिसे दिया गया है वह आए दिन अस्पताल में ईलाज के नाम विधायक का गुणगान करते फिरता है, और उसी आड़ में सेटिंग करके पार्किंग का काम लिया गया है। जिला अस्पताल के स्टाफ भी विधायक के इस स्टाफ से परेशान हैं लेकिन विधायक का दबाव होने के कारण कुछ बोलना जरूरी नही समझते।
निविदा प्रकिया की निष्पक्षता पर सवाल
जिला अस्पताल कैंपस में पार्किंग व कैंटीन के लिए जिस प्रकार गुपचुप तरीके से निविदा निकालकर चहेतो को काम दे दिया गया है उससे सवाल उठना भी लाजमी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या सत्तापक्ष और विधायक का करीबी होना ही निविदा प्राप्त करने की योग्यता है। जिस प्रकार से सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर विधायक के चहेतो का काम दिया गया है उससे लगता है विधायक के करीबियों को जिला अस्पताल प्रबंधन ने एक तरह से तोहफा प्रदान कर दिया है,और इस वजह से निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता नही अपनाई गई बल्कि सारे नियम कायदों को विधायक के करीबियों के आगे समर्पण कर दिया गया।