वर्धमान जैन मंदिर में 80 तपस्वियों ने कलश स्थापना के साथ शुरू किया अक्षयनिधि, समवसरण व कषायविजय तप
आपके पास जितना समय बचे उसे धर्म में लगाइए और अच्छा काम कीजिए, नहीं तो नरक की टिकट पक्की हैः श्री श्रमणतिलक विजय जी
रायपुर । न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर के मेघ-सीता भवन में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 की प्रवचन श्रृंखला में शुक्रवार को परम पूज्य श्रमणतिलक विजय जी ने नरक गति के विषय में बताते हुए कहा कि आज आपके पास जितना समय है उसमें धर्म कीजिए अच्छा काम कीजिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो नरक गति में जाना ही पड़ेगा। अभी फिलहाल आपकी स्थिति ऐसी है कि नरक में जाने वाले ट्रेन की टिकट कंफर्म है, कोई वेटिंग का चक्कर नहीं है। समय रहते इसे आप सुधार सकते हो।
मनुष्यों की वर्तमान स्थिति के बारे में बताते हुए मुनिश्री ने कहा कि आज मनुष्यों की स्थिति जानवर से भी बुरी है। अगर लाइफ साइकिल को छोड़ दें तो कोई भी जानवर दूसरे जानवर को मार कर नहीं खाता है लेकिन आज मनुष्य, जानवरों को काट कर खा रहा है। जानवरों की भी एक लिमिट होती है लेकिन मनुष्य ने अपनी सारी हदों को पार कर दिया है। सांप अगर दिन में एक बार जहर छोड़ता होगा तो उसकी तुलना में मनुष्य दिन में 10 बार से ज्यादा अपने मुंह से जहररूपी शब्द उगलता है। यही समय है, आप अब भी सुधर सकते हैं और अपने बचे हुए वक्त का सही उपयोग कर सकते हैं।
मुनिश्री कहते हैं कि अगर आप नरक में जाओगे तो आपको बचाने वाला वहां कोई भी नहीं होगा उस जगह भगवान भी आपको नहीं बचा सकते हैं। नरक भोगना कोई आसान काम नहीं है, वहां पर भूख ऐसी लगती है कि पूरी दुनिया का खाना भी खा लो तो भी आपका पेट नहीं भरेगा। प्यास भी ऐसी की कितना भी पानी पी लो प्यास नहीं बुझेगी। आज आपको प्यास लगे तो आपके पास कई विकल्प हैं, आप गर्म पानी पी सकते हो, ठंडा पानी पी सकते हो, मिनरल वाटर पी सकते हो, हिमालय वॉटर पी सकते हो लेकिन नरक में आपको पता नहीं कैसा पानी मिलेगा वह गर्म भी हो सकता है और गंदा भी। सियाचिन में जितनी ठंड 6 महीने पड़ती है उतने बराबर की ठंड हर सेकंड नरक गति में पड़ती है। गर्मी ऐसी कि एक साल तक किसी आग के गोले को तपाया गया हो, उतनी गर्मी एक सेकंड में पड़ती है। नरक की सजा भोगने वाले व्यक्ति को अगर आज आप इस संसार में लाकर खौलते हुए तेल में भी डालेंगे तो भी वह चौन की नींद सो जाएगा, तो आप अंदाजा लगा लीजिए कि नरक का मौसम कैसा रहता होगा।
उन्होंने आगे कहा कि सातवें नरक के अंदर शरीर में भयंकर खुजली होती है। साथ ही साथ नरक भोगने वाले को हाई टेंपरेचर बुखार का सामना करना पड़ता है। आज जरा सा बुखार होने पर आप डॉक्टर के पास चले जाते हैं। थोड़ी सी खुजली हो जाए तो भी आप डॉक्टर को बताए बिना नहीं रहते, तो सोचिए कि अगर आप नरक गति में चले गए तो क्या होगा। नरक में हर जगह त्राहिमाम मचा हुआ है और आपको बचाने वाला, आपकी सुध लेने वाला वहां पर कोई नहीं है। आज आपके पास समय है, बुद्धि है, ताकत है तो उसका उपयोग करके आपको अपने लिए सुरक्षा चक्र बना लेना है। ऐसा नहीं करने पर आपकी हालत ऐसी हो जाएगी कि कोई भी आपको बचाने नहीं आ पाएगा। हम आज अपने व्यापार का फ्यूचर देख रहे हैं लेकिन खुद का फ्यूचर नहीं देख रहे हैं। व्यापार और जीवन कुछ ही साल के हैं लेकिन अगर नरक में चले गए तो सालों-साल आप वहां से नहीं निकल पाओगे। इसलिए आपको अपने बचे हुए समय का सदुपयोग करते हुए अपने लिए सुरक्षा चक्र बना लेना है ताकि आपको आगे नरक गति में न जाना पड़े।
11 दिवसीय इकतीसा 29 अगस्त से
न्यू राजेंद्र नगर स्थित वर्धमान जैन मंदिर में चल रहे आत्मकल्याण वर्षावास 2024 के अंतर्गत शुक्रवार को 80 श्रावक-श्राविकाओं ने कलश स्थापना के साथ अक्षयनिधि, कषायविजय और समवसरण तप शुरू किया। इन तीनों तप में दिन में एक बार भोजन किया जाता है और शाम के पहले तक जल ग्रहण करने का नियम है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री धर्मराज जी बेगानी ने बताया कि तप-जप और साधना के क्रम में 29 अगस्त से 11 दिवसीय इकतीसा प्रारंभ होने जा रहा है।