राजनांदगांव। डोंगरगांव ब्लाक के ग्राम रूपाकाठी में ग्रामीण साहू समाज द्वारा कर्मा जयंती के अवसर पर साकेत साहित्य परिषद सुरगी के बैनर तले कवि गोष्ठी, परिचर्चा सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार , साकेत साहित्य परिषद के संरक्षक कुबेर सिंह साहू थे एवं अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार एवं पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा, छुरिया के सलाहकार अरविंद कुमार लाल ने की। विशिष्ट तिथि के रूप में महेंद्र कुमार बघेल मधु ,अध्यक्ष ,शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव, जयकांत पटेल, अध्यक्ष, प्रेरणा साहित्य समिति बालोद ,जितेंद्र कुमार पटेल सचिव, वनांचल साहित्य समिति मोहल्ला उपस्थित थे। साहित्यकारों का स्वागत ग्रामीण साहू समाज के अध्यक्ष केदार साहू, पूर्व अध्यक्ष गणेश राम साहू, हरी राम साहू भीम राम साहू,,ईश्वर साहू, कलश यादव , डिगेश्वर यादव,भूषण लाल साहू ,एवन कुमार साहू, भाव सिंह साहू ,संतोष साहू , सुरेश हिरवानी, नेहरू राम साहू,राज कुमार साहू , टीकम लाल साहू,राम कुमार साहू, नेहरू राम साहू, हुमन लाल साहू, अशोक साहू, गौतम साहू, सालिक साहू, महेश साहू एवं अन्य सदस्यों ने किया
प्रथम सत्र में सामाजिक क्रांति की प्रतीक के संत माता कर्मा और भारतीय संविधान के जनक डॉ भीमराव अंबेडकर की जीवनी पर परिचर्चा आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि कुबेर सिंह साहू ने कहा कि माता कर्मा ने भगवान कृष्ण की भक्ति और अपनी संगठन शक्ति के बल पर तेली समाज को एकता के सूत्र में पिरोकर रखा । कुबेर ने खिचड़ी (प्रसाद)की महत्ता पर प्रकाश डाला।शिवनाथ साहित्य धारा डोंगरगांव के अध्यक्ष महेन्द्र कुमार बघेल मधु ने कहा कि माता कर्मा और डा. भीमराव अम्बेडकर ने छुआछूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी और मानव समाज में एक मिसाल बन गए। अब हम सबको चाहिए कि समाज में व्याप्त कुरीतियां,आडंबर को छोड़कर एक स्वस्थ समाज का निर्माण करें। समाज की उन्नति के लिए हर व्यक्ति को यथाशक्ति अंशदान करना चाहिए। मधु ने कहा कि बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना बहुत ही जरूरी है। पालक वर्ग जागरूक होकर अपने बच्चों का बेहतर भविष्य गढ़ने की दिशा में अपनी महती भूमिका निभाएं।
परिचर्चा में आधार वक्तव्य साकेत साहित्य परिषद सुरगी के अध्यक्ष ओम प्रकाश साहू अंकुर ने दिया। उन्होंने कर्मा की भक्ति और संगठन शक्ति की चर्चा करते हुए समाज को एकजुट रहने का आह्वान किया। अंकुर ने डा. भीमराव अम्बेडकर के विचार को बहुत प्रासंगिक बताते हुए कहा कि समाज की तरक्की के लिए शिक्षित होना, संगठित होना और वाजिब हक के लिए संघर्ष करना अत्यावश्यक है। विशिष्ट अतिथि जयकांत पटेल, जितेन्द्र कुमार पटेल ने कहा कि माता कर्मा की जीवनी प्रत्येक समाज के लिए प्रेरणादायी है। साहू समाज अपनी संगठन शक्ति के लिए और विभिन्न रचनात्मक कार्यों के लिए जाने जाते हैं।
द्वितीय सत्र में कवियों ने समां बांधा
हास्य - व्यंग से भरपूर मनोरंजन के साथ ही संदेशपरक रचनाएं पढ़ी गई
परिचर्चा के बाद द्वितीय सत्र में ओमप्रकाश साहू अंकुर के संचालन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने हास्य- व्यंग्य से सराबोर रचनाओं का पाठ कर जहां श्रोताओं को जोरदार ठहाका लगवाया वहीं संदेशपरक रचनाओं का पाठ कर समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन किया । कुमारी चंचल साहू (भिलाई) ने" आरो नइ मिले" कविता के माध्यम से जीवन में होने वाले बदलाव का सुंदर चित्रण किया।
जयकांत पटेल (बालोद )ने एक से एक बढ़कर हास्य व्यंग्य रचनाओं का पाठ कर खूब तालियां बटोरी। छेरी के लेड़ी कविता के माध्यम से शोषण का बखूबी चित्रण किया। वहीं उनकी यह कविता खूब सराही गई-"तंय देखत हस हनुमान, का होगे हिंदुस्तान। रीत-नित अउ सत कहवइया के होगे मरे बिहान ।"
अरविंद कुमार लाल( चिचोला )की कविता "लमसेना 'को सुनकर श्रोता वर्ग हंस-हंसकर लोटपोट हो गए। वहीं लोगों को मदिरापान से बचने के लिए रचनाएं पढ़ी - "दारू- महुआ के तुम नसा ला छोड़व, दारू के नसा हे बेकार। उही पइसा ला बचा के रखव
संगी, सुखी रहि परिवार।"
फकीर प्रसाद साहू फक्कड़ (सुरगी) ने अपनी कविता के माध्यम से अपनी एक अलग छाप छोड़ी- "मुझे मेरा गांव शहर लगता है,यहां बेगानों से नहीं अपनों से डर लगता है ।कभी देखा नहीं मुर्दे को शैतान बनते, यहां जिंदा शैतानों से डर लगता है। कुलेश्वर दास साहू( मोखला) ने एकल शिक्षकीय स्कूल की दयनीय दसा का चित्रण किया - "गांव के स्कूल के हालत खस्ता हे। एक झन गुरुजी अउ पांच ठन कक्षा हे।"
कैलाश साहू कुंवारा (बम्हनी,बालोद), पन्ना लाल साहू ( छुईखदान)पवन यादव पहुना ( सुंदरा), डोहर दास साहू (सुरगी) कवयित्री सुजाता साहू ( डोंगरगढ़ ) , कन्हैयालाल मेश्राम ( किरगी)ने संत माता कर्मा की जीवनी को मधुर स्वर में गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। कैलाश साहू कुंवारा ने माता कर्मा के गुणगान कर लोगों को भाव विभोर कर दिया-" हजार बरस पहिली के संतो ,झांसी के मंय कथा सुनांव ।तेली वश में जनधरिन हे, माता कर्मा के मंय गुन गांव।' डोहर दास साहू ने प्यारा सा गीत सुना कर श्रोताओं को आनंदित कर दिया - परेम के दीयना ,भाव के बाती ।श्रद्धा के फूल चढ़ावंव मैया, दाई कर्मा दाई ओ ,तोर चरण मा पड़े हंव।
पवन यादव पहुना ने माता कर्मा के बखान में कहा- "जो अपने कर्मों से, जग में हुई महान। जिनकी हाथों से खिचड़ी खाने के लिए, बाल रूप लेकर , स्वयं आए भगवान।
पहुना ने छत्तीसगढ़ महतारी और छत्तीसगढ़ी भाषा का गुणगान किया।हास्य - व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर शंतू राम गंजीर (खुर्सीपार)ने अपनी चर्चित कविता -बमलाई दर्शन ,ईटीवी वीटीवी, पति के नांव अउ डार कविताओं के माध्यम से श्रोताओं के बीच जबरदस्त प्रभाव छोड़ा।
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे ओमप्रकाश साहू अंकुर ( सुरगी)ने मोबाइल की उपयोगिता के साथ ही उनके दुरूपयोग पर श्रोताओं का ध्यान खींचा -"मोबाइल घर-घर उपयोगी सब बर ,जिनगी येकर बिन लगथे बेकार हे। कर ना दुरुपयोग ,कर सदुपयोग।
बुरा कारज म संगी येमा मझधार हे।" साथ ही उन्होंने"तीन लोक के स्वामी "के माध्यम से भगवान रामचंद्र जी की महिमा का बखान किया। अंकुर की व्यंग्य क्षणिकाएं काफी पसंद की गई।गोटाटोला (मोहला )से पधारे कवि जितेंद्र कुमार पटेल विद्रोही ने खेतों की लहलहाती फसल और माटी की खुशबू के बारे में मनभावन प्रस्तुति दी।
मोहला से ही आमंत्रित कवि जसवंत मंडावी ने विभिन्न विसंगतियों पर जमकर प्रहार किया ।छत्तीसगढ़िया लोगों के भोलेपन का सजीव चित्रण किया। देखिए उनकी कविता पाठ की बानगी -"धीरे-धीरे गउटिया ले बनिहार होवत हन।" "बंद होवत हे स्कूल, भट्ठी ल खोलत हे।" अलख राम यादव बिसाहू टोला (चिचोला ) , आनंद राम सार्वा ( कुतुलबोड़ भांठा गांव)ने गौ -माता पशु -पक्षियों और जानवरों की दयनीय दशा का चित्रण किया। अपनी कविता के माध्यम से मानव समाज की स्वार्थ परकता को रेखांकित किया। राजकुमार श्याम (सड़क चिरचारी )ने समसामयिक रचनाओं से अपना एक अलग प्रभाव छोड़ा। छुरिया से आए कोमल सिंह गुरु ने बच्चों की शिक्षा पर केंद्रित मधुर स्वर में गीत की प्रस्तुति देकर लोगों को गुनगुनाने पर मजबूर कर दिया। काव्य पाठ के बाद ग्रामीण साहू समाज रूपाकाठी ने साहित्यकारों को श्रीफल,पेन और अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया।इस अवसर पर कन्हैया लाल मेश्राम ( किरगी) , प्रीतम साहू ( छुईखदान) आकाश साहू ( भिलाई) सहित ग्रामीण साहू समाज रूपाकाठी के पदाधिकारियों, सदस्यों एवं बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे। परिचर्चा एवं कवि गोष्ठी का सफल संचालन ओमप्रकाश साहू अंकुर अध्यक्ष, साकेत साहित्य परिषद सुरगी एवं आभार व्यक्त आयोजन समिति के अध्यक्ष केदार साहू ने किया।