मातृत्व वंदना योजना ने बदली मंजू साहू के जीवन की दिशा
बेमेतरा । बेमेतरा जिले के ग्राम बेरलाकला निवासी श्रीमती मंजू साहू की जीवन गाथा इस बात का उदाहरण है कि कैसे शासन की योजनाएँ आम गृहणियों और माताओं के जीवन में नया संबल बन रही हैं। श्रीमती साहू का परिवार कृषि कार्य पर आधारित है। स्वयं गृहणी होने के कारण वे घर से बाहर किसी कार्य में सम्मिलित नहीं होतीं, जिसके चलते उन्हें अक्सर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता था। अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी उन्हें परिवार के पुरुष सदस्यों की आमदनी पर निर्भर रहना पड़ता था। यही परनिर्भरता कभी-कभी उनके स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर भी बोझ बन जाती थी।
इसी दौरान उनके जीवन में सबसे बड़ी खुशी आई प्रथम मातृत्व सुख की। गर्भावस्था की सूचना पाकर जहां एक ओर घर-परिवार प्रसन्न था, वहीं दूसरी ओर मंजू के मन में शंका और चिंता घर कर गई कि क्या वे अपने और शिशु की उचित देखभाल कर पाएंगी | इसी बीच आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन दीदी ने उनसे भेंट कर प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि यह योजना गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है। प्रथम संतान पर ₹5000 दो किश्तों में तथा दूसरी बालिका होने पर ₹6000 की राशि महिला हितग्राही को प्रदान की जाती है।
यह सुनकर मंजूजी के चेहरे पर उम्मीद की किरण जगमगा उठी। योजना के लिए उनका पंजीयन हुआ और कुछ समय बाद उन्हें प्रथम किश्त की राशि प्राप्त हुई। इस राशि का उपयोग उन्होंने पौष्टिक आहार और चिकित्सीय आवश्यकताओं पर किया। समय पर द्वितीय किश्त का भुगतान भी हुआ, जिससे गर्भावस्था के दौरान आई चुनौतियों का सामना सहज रूप से कर पाईं। आज मंजू साहू और उनका शिशु दोनों स्वस्थ और प्रसन्न हैं। वे कहती हैं कि मातृत्व वंदना योजना ने मेरे जीवन को नया सहारा दिया। मुझे न केवल आर्थिक सहयोग मिला, बल्कि मातृत्व जैसे दुर्लभ सुख को तनावमुक्त होकर अनुभव करने का अवसर भी मिला। मैं प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की हृदय से आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे और मेरे शिशु के लिए यह सुरक्षा कवच प्रदान किया।
इस सफलता की कहानी यह दर्शाती है कि शासन की योजनाएँ जब सही पात्र तक पहुँचती हैं, तो वे न केवल आर्थिक संबल देती हैं बल्कि सामाजिक और भावनात्मक दृष्टि से भी जीवन को सकारात्मक दिशा प्रदान करती हैं।