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कलाकारों ने बताया कैसे उनके गुरु के संस्कार आज भी झलकते हैं उनकी अदाकारी में!

 कलाकारों ने बताया कैसे उनके गुरु के संस्कार आज भी झलकते हैं उनकी अदाकारी में!

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गुरु पूर्णिमा पर कलाकारों ने किया अपने जीवन के सच्चे गुरुओं को याद

 
मुंबई, जुलाई 2025: गुरु पूर्णिमा के खास अवसर पर कई कलाकारों ने उन मार्गदर्शकों को याद किया, जिन्होंने उनके जीवन को आकार दिया। किसी के लिए वह स्कूल के शिक्षक थे, जिन्होंने उन पर विश्वास जताया, तो किसी के लिए डांस गुरु, जिन्होंने अनुशासन और लय का पाठ पढ़ाया। एक ऐसे समय में जब शोहरत ही अक्सर सुर्खियां बटोरती है, ये कहानियां हमें उन गुमनाम लेकिन अहम लोगों की याद दिलाती हैं जो हर सफलता के पीछे चुपचाप अपना योगदान देते हैं। एण्डटीवी के कलाकारों योगेश त्रिपाठी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह) और शुभांगी अत्रे (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी) ने अपने जीवन में गुरुओं की भूमिका और उनके महत्व के बारे में बताया।

योगेश त्रिपाठी उर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह कहते हैं,“मेरे लिए मेरे पिता हमेशा से मेरे पहले और सबसे बड़े गुरु रहे हैं। बचपन से मैंने देखा कि वह कितनी सादगी, ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ जीवन जीते थे। वे प्रोफेशनल स्कूल टीचर थे और उनकी फिज़िक्स व मैथ्स में गहरी पकड़ थी। उनके नंबरों और लॉजिक के प्रति प्रेम ने मुझे भी वैसा ही बना दिया। स्कूल के दिनों में मैं मैथ्स का सबसे अच्छा स्टूडेंट था। वो जिस धैर्य और सरलता से कठिन बातें समझाते थे, वह अद्भुत था। लेकिन पढ़ाई से भी ज्यादा उन्होंने मुझे अनुशासन, विनम्रता और अपने रास्ते पर डटे रहने की सीख दी। उन्होंने कभी मेरे कॅरियर को लेकर कोई दबाव नहीं डाला, बल्कि हमेशा मेरा हौसला बढ़ाया कि जो भी करो, पूरे मन से करो। आज भी मैं हर कदम पर उनकी सीख को अपने साथ लिए चलता हूं। भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका ज्ञान और जीवन-दर्शन आज भी मुझे राह दिखाता है। वो सिर्फ मेरे पिता नहीं, बल्कि मेरे गुरु थे और हमेशा रहेंगे।”

शुभांगी अत्रे उर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी ने कहा, “हाल ही में मुझे अपने कथक गुरु सुचित्रा हरमलकर जी से 18 साल बाद इंदौर में मिलने का भावनात्मक सौभाग्य मिला। वो पल बेहद भावुक था, क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हूं- मेरी कला, मेरा अनुशासन, मेरी अभिव्यक्ति - इन सबकी जड़ें उनकी सीख में हैं। उन्होंने मुझे सिर्फ कथक नहीं सिखाया, बल्कि मेरे व्यक्तित्व और मेरी रचनात्मक आत्मा को आकार दिया। उनका आशीर्वाद और ज्ञान हमेशा मेरे साथ रहा है। आज भी जब मैं पर्दे पर कोई इमोशनल सीन हूं, तो उनके सिखाए अभिनय और अभिव्यक्ति से ही प्रेरणा लेती हूं। मैं अक्सर कहती हूं कि कथक में वे मेरी प्रेरणा और प्रतिबिंब दोनों ही हैं और उनकी उपस्थिति हमेशा मेरे साथ रहती है। इतने सालों बाद उनसे दोबारा जुड़ना मुझे मेरी शुरुआत की याद दिलाता है और यह भी कि मैं उनकी कितनी ऋणी हूं। एक सच्चा गुरु कभी साथ नहीं छोड़ता और मैं उनकी सदा आभारी रहूंगी।”

अपने पसंदीदा कलाकारों को देखिये ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में रात 10:00 बजे और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में रात 10:30 बजे, हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर

 

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